वेक्टर जनित रोगों से सुरक्षित रखने में स्वच्छ जल महत्वपूर्ण
वर्ल्ड वाटर दिवस (विश्व जल दिवस), 22 मार्च 2023 ACCELERATING CHANGE यानि परिवर्तन में तेजी लाने के लिए, हमें और कार्रवाई की जरूरत है ।
लखनऊ। विश्व जल दिवस का विचार 1992 से है, जिस वर्ष रियो डी जेनेरियो में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ था। उसी वर्ष, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव अपनाया जिसके द्वारा प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को जल के लिए विश्व दिवस घोषित किया गया, जिसे 1993 से मनाया जा रहा है। दुनियाभर के लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस यानि वर्ल्ड वाटर डे मनाया जाता है और हर साल इसकी थीम भी रखी जाती है।
इस बार की थीम है ACCELERATING CHANGE यानि परिवर्तन में तेजी लाने के लिए, हमें और कार्रवाई की जरूरत है । सही मायने में यह दिन जल के महत्व को जानने, समय रहते जल संरक्षण को लेकर सचेत होने और पानी बचाने का संकल्प लेने का दिन है। जल यानि पानी, हम सबके जीवन के लिए अनमोल है। इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। इसके महत्व को समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले पानी का लभग 97 प्रतिशत सागरों और महासागरों में है, जोकि पीने के योग्य्य नहीं होता है। केवल 3 प्रतिशत पानी ही पीने के काम आता है।
विश्व की पूरी आबादी के लिए पीने के पानी का यह प्रतिशत कितना कम है । केवल कल्पना कीजिये कि अगर यह प्रतिशत भी नहीं रहा तो इस पृथ्वी पर जीवन का क्या हाल होगा । चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश के वेक्टर जनित रोगों के संयुक्त निदेशक डॉ. विकास सिंघल बताते हैं कि इस वर्ष विश्व जल दिवस, जल और स्वच्छता संकट को हल करने के लिए परिवर्तन में तेज़ी लाने के बारे में है, क्योंकि पानी हम सभी को प्रभावित करता है इसीलिए हम सभी को इस संबध में कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
इसका मतलब आप और आपका परिवार, स्कूल और समुदाय अपने जीवन में पानी के उपयोग, उपभोग एवं प्रबंधन के तरीक़ों को बदलकर बदलाव ला सकते हैं । ख़ुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं। साफ़ पानी का प्रयोग करने से कई तरह की जल जनित बीमारियों से बचा जा सकता है, साथ ही वेक्टर जनित रोगों से सुरक्षित रहने में भी साफ़ पानी की महत्वपूर्ण भूमिका है। गंदे पानी का इस्तेमाल करने से बैक्टीरियल वायरल या कई तरह के इंफेक्शन हो सकते हैं , जिसके कारण हैजा, टाइफाइड, पेचिश, हेपेटाइटिस ए,पीलिया जैसी बीमारियां आसानी से किसी को भी अपना शिकार बना सकती हैं।
डॉ. सिंघल ने यह भी कहा कि “हम अपने घर छत आँगन एवं घर के आस पास अनावश्यक पानी को एकत्रित न होने दें क्योंकि ऐसे रुके हुए पानी में डेंगू चिकनगुनिया जैसी ख़तरनाक बीमारी फैलाने वाले मच्छर पैदा होते हैं अतः उनसे बचने के लिए हम आवश्यकता के अनुरूप ही अच्छे से बंद होने वाले ढक्कनों युक्त पात्रों में पानी का भंडारण करें एवं नियमित अंतराल पर ऐसे पात्रों की सफ़ाई करते रहे। ठहरे हुए और दूषित पानी मच्छरों को पैदा करते हैं, जोकि फाइलेरिया जैसी तमाम वेक्टर जनित बीमारियों के कारक हैं। इसके साथ ही फाइलेरिया रोग से संक्रमित लिम्फेडेमा के मरीज़ के सूजे हुए और संक्रमित पैरों को साफ़ पानी और साबुन से नियमित धोने से इस रोग का बेहतरीन प्रबंधन होता है। वर्ल्ड वाटर डे के अवसर पर समुदाय को जल संसाधनों को बचाने का संकल्प लेना चाहिए और जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता के साथ कार्य करना चाहिए।