चेतना साहित्य परिषद् में समस्या पूर्ति की काव्य संध्या एवं राज किशोर नमन की पुस्तक ‘छंद सौरभ ‘का हुआ लोकार्पण।
मृत्युंजय प्रताप सिंह संवाददाता
लखनऊ -चेतना साहित्य परिषद् में समस्या पूर्ति की काव्य संध्या कल शाम बालसंग़हालय चार बाग लखनऊ में डां शिव भजन कमलेश की अध्यक्षता एवं प्रमोद द्विवेदी प्रमोद के संचालन में संपन्न हुई। मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद मातृ स्तवन कृष्ण द्विवेदी दिवेश जी ने किया। मातृ वंदना के उपरांत संस्था के प्रचार मंत्री राज किशोर नमन की प्रथम कृति ‘ छ्न्द सौरभ ‘ का लोकार्पण उपस्थित विभूतियों द्वारा किया गया। इसके बाद समस्या पूर्ति पर आधारित काव्य संध्या का प्रारंभ किया गया। इस काव्य संध्या में सभी कवियों ने समस्या पूर्ति ‘जमाना है’पर सृजित रचनाओं का पाठ किया। ” सूर तुलसी कबीर रसखान के सदृश, पांव जग में मुझे भी अब से जमाना है।” सुंदर छंद पढ़ा प्रमोद द्विवेदी प्रमोद ने जिसे बहुत सराहा गया।” इधर -उधर भटकन का कोई अर्थ नहीं अब तो, अर्थ हीन हो चुका बीत जो गया जमाना है” बहुत सुंदर मुक्तक सुनाया रमाशंकर सिंह ने।इनको भी काफी सराहना मिली।”और यदि उच्च कोटि का सृजन हो गया तो , साधकों की भांति निज पैर को जमाना है” सुंदर छंद सुनाया अध्यक्षीय काव्य पाठ में शिव भजन कमलेश ने और काव्य गोष्ठी को शीर्ष पर पहुंचाया। गोष्ठी में उपस्थित अन्य कवियों ने भी सुंदर काव्य पाठ करके इस आयोजन को श्रेष्ठता प्रदान किया।इनमें डॉ दिनेश चंद अवस्थी, डॉ अरविंद झा, राम औतार पंकज , राज किशोर नमन, डॉ हरि ओम ओझा, नवीन बैसवारी, अटल नारायण, आदर्श पांडेय, चंदन नयन आदि प्रमुख रहे। अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ यह काव्य संध्या आगामी कार्यक्रम तक स्थगित की।